Culture

पृष्ठभूमि: निपुण भारत मिशन

 

भारत सरकार और शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा 5 जुलाई 2021 को केंद्र द्वारा संचालित समग्र शिक्षा योजना के एक भाग के रूप में नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमैरेसी (निपुण भारत) नामक राष्ट्रीय स्तर के मिशन की शुरुआत की गई।

 

इस मिशन का उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान प्रदान कर उन्हें निपुण बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे अपने ग्रेड के स्तर के अनुसार पढ़ने, लिखने, बोलने, व्याख्या करने में सक्षम हों तथा अंक गणितीय कौशल प्राप्त करें। इस मिशन के अंतर्गत ग्रेड 3 तक के प्रत्येक बच्चे के आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के ज्ञान को विकसित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राथमिकताएँ तय की जाती है और गतिविधियों से संबंधित योजनाएँ बनाई जाती हैं।

 

वर्तमान स्थिति क्या है?

 

55% भारतीय बच्चे ऐसे हैं जो नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं लेकिन कक्षा 5 तक के अपने पाठ को पढ़ और समझ नहीं पाते हैं: विश्व बैंक का लर्निंग पॉवर्टी इंडेक्स

 

13-18% छात्र ऐसे हैं जो कक्षा 3, 5 और 8 में हैं लेकिन उनके सीखने का बुनियादी स्तर कक्षा के स्तर से नीचे है एवं उनमें से केवल 39-53% छात्र ही ऐसे हैं जिनमें कक्षा के स्तर की आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान है: NAS 2017 की रिपोर्ट

 

शोधों के अनुसार कक्षा 3 एक ऐसा पड़ाव है, जहाँ बच्चे पहले ‘पढ़ना सीखते हैं’ और उसके बाद वे ‘सीखने के लिए पढ़ते हैं’। निपुण भारत का उद्देश्य बच्चों को ‘सीखने के लिए पढ़ने’ की दिशा में मदद करना है।

 

आवश्यकता

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने स्कूली शिक्षा प्रणाली में बदलाव की दिशा में उद्देश्य निर्धारित किए हैं। छात्रों को सीखने के अनुकूल माहौल मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न स्तर के नायकों (कर्ताओं) को एक साथ काम करना होगा। एनईपी 2020 राज्य को “शिक्षकों, शैक्षणिक संसाधन से संबंधित व्यक्तियों और शिक्षा पदाधिकारियों की क्षमता संवर्धन” करने की दिशा में कार्य करने पर जोर देता है। इसके लिए सभी हितधारकों द्वारा नई आदतों और पद्धतियों को सीखने एवं उन्हें अमल में लाने की आवश्यकता होगी। उन परिवर्तनों को एक व्यवस्थित स्तर पर लाना हितधारकों के लिए एक लंबी, जटिल और बहुत अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया बन सकती है, इसलिए उनकी क्षमता को इस तरह विकसित करने की आवश्यकता होगी कि वे नवाचार, समस्या-समाधान से संबंधित कौशल विकसित करते हुए निरंतर सूक्ष्म-सुधार की दिशा में रहें।

 

भारत के विद्यालयों में पिछले 30 वर्षों में कई शिक्षा सुधार किए गए हैं, जिनमें से अधिकतर सुधारों का उद्देश्य छात्रों के उपलब्धि मानकों में सकारात्मक बदलाव लाना था। विद्यालय के बहुआयामी और लगातार बदलते परिवेश ने विद्यालय नेतृत्व को अत्यधिक दिलचस्प विषय के रूप में उभारा है जिनकी छात्रों के परिणाम के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

विद्यालय नेतृत्वकर्ता अपने विद्यालयों के शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव ला सकते हैं तथा इसके परिणामस्वरूप, शिक्षकों की प्रेरणा और क्षमताओं को प्रभावित करके छात्रों की उपलब्धि को बेहतर कर सकते हैं (मलफोर्ड, 2003)। विद्यालय नेतृत्वकर्ता शिक्षण और सिखाने के कार्य पर जितना अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, छात्रों के परिणाम पर उतना अधिक प्रभाव पड़ता है।

 

विभिन्न राज्यों के लिए उपयोगिता

 

कार्यशाला से सीखी गई बातों को कार्यस्थल पर उतारना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। कई राज्य अब केवल ‘सुधार के लिए सीखने’ के एकमात्र उद्देश्य के साथ अपने प्रमुख कार्यक्रमों की रूपरेखा माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के अनुसार तैयार कर रहे हैं। सितंबर 2021 में, उत्तर प्रदेश, मिशन प्रेरणा के तहत इस दृष्टिकोण का उपयोग करने वाला पहला राज्य बना। राज्य में प्रधानाध्यापकों के द्वारा शिक्षक पर्व के अवसर पर शिक्षकों के कार्यों का जश्न मनाने, सराहना करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए एक परियोजना की रूपरेखा तैयार की गई और उसे कार्यान्वित किया गया।

 

जनवरी 2022 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा 100 दिवसीय पठन अभियान की शुरुआत की गई। बिहार, गुजरात, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी के प्रधानाध्यापकों और विद्यालय प्रमुखों ने अभियान को लागू करने के लिए माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट को अपनाया। इस दौरान लगभग 50,000 से अधिक सुधार परियोजनाएँ शुरू की गईं और इस दृष्टिकोण के कारण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हुआ।

 

अगस्त 2022 में, उत्तर प्रदेश एक बार फिर बीईओ, एआरपी और डीसीटी के लिए “निपुण नेतृत्व विकास” पर चार दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने वाला पहला राज्य बना, जो उनकी प्रमुख परियोजना “सुपर -50” के तहत चरणबद्ध तरीके से आयोजित किया गया।

 

सुपर 50 – निपुण नेतृत्व विकास कार्यशाला: एआरपी, डीसीटी और बीईओ का क्षमता संवर्धन

 

नेतृत्व हर दिन कुछ नया सीखने और अन्य नेतृत्वकर्ताओं को विकसित करने के बारे में है। जब हम शैक्षिक नेतृत्व को देखते हैं, तो हम या तो प्रधानाध्यापकों या डाइट/एससीईआरटी पदाधिकारियों के बारे में बात करते हैं। हम अक्सर ‘दूसरे स्तर’ के शैक्षिक नेतृत्वकर्ताओं के एक बड़े समूह को नजरअंदाज कर देते हैं। उत्तर प्रदेश में नेतृत्व के ‘दूसरे स्तर’ पर खंड शिक्षा अधिकारी, शैक्षणिक संसाधन व्यक्ति, जिला समन्वयक इत्यादि शामिल हैं। नेतृत्वकर्ताओं का ये दूसरा स्तर विद्यालयों और छात्रों के लिए राज्य-स्तरीय लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं नीतियों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निपुण भारत जैसे बड़े स्तर के मिशन के सफल होने एवं आधारभूत साक्षरता तथा संख्यात्मकता (FLN) के ज्ञान की बेहतर उपलब्धि के लिए सभी स्तरों के नेतृत्वकर्ताओं को आपसी समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है।

 

यही कारण है कि नेतृत्व के दूसरे स्तर के संबंध में चर्चा करने और उनकी क्षमता संवर्धन को लेकर काम करने की आवश्यकता कई गुना बढ़ जाती है। ‘सुपर -50’ का उद्देश्य उन्हीं उपेक्षित शैक्षिक नेतृत्वकर्ताओं के दूसरे स्तर पर ध्यान केंद्रित करना और उनका क्षमता संवर्धन करना है।

 

कार्य योजना के माध्यम से राज्य के 50 स्व-नामांकित खंडों के खंड शिक्षा पदाधिकारी, शैक्षणिक संसाधन व्यक्ति एवं जिला समन्वयक चार दिवसीय राज्य स्तरीय ‘सुपर-50’ नेतृत्व विकास कार्यशाला में शामिल हुए हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्य में निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खंड स्तर पर ‘दूसरे स्तर’ के मजबूत नेतृत्व को विकसित करना है। कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है। फैसिलिटेटर, जो शिक्षाविद भी हैं, जिनके पास वर्षों का अनुभव होता है, वे लैंगिक समानता, नेतृत्व में आध्यात्मिकता, संवेदनशीलता, डेटा डैशबोर्ड, रोल प्ले, स्थितिजन्य विश्लेषण और खंड विकास योजना जैसे विषयों के बारे में चर्चा करते हैं।

कार्यशाला की रूपरेखा इस प्रकार तैयार की जाती है कि यह नेतृत्व विकास की दिशा में केंद्रित और गतिविधियों पर आधारित हो ताकि दूसरे स्तर के नेतृत्वकर्ता अपने खंड में वापस जाकर FLN के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हों और वे प्रासंगिक एवं कुछ नए प्रकार के हल या पद्धतियाँ तैयार कर सकें। इसका उद्देश्य केवल वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के दौरान एक बेहतर खंड विकसित करना नहीं है, बल्कि खंड स्तर पर प्रेरित नेतृत्वकर्ताओं का एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी स्तर बनाना है, जिससे खंड का सतत विकास होता रहे।

 
 
 

सुपर 50 – निपुण नेतृत्व विकास कार्यशाला का उद्देश्य

 
  1. खंड स्तर पर एक कोर टीम (बीईओ + एआरपी + डीसीटी) बनाना, जो निपुण मिशन का नेतृत्व कर सके

  2. निपुण भारत और नेतृत्व विकास से संबंधित अवधारणाओं के बारे में जागरूक करना

  3. बीईओ को प्रेरित करना ताकि वे खंड स्तर के अकादमिक और प्रशासनिक टीम को प्रेरित कर सकें

  4. मार्च ’23’ तक निपुण खंड बनाने के लिए खंड स्तरीय योजना तैयार करना

सुपर 50 निपुण नेतृत्व विकास कार्यशाला में मंत्रा की भूमिका

 

राज्य शिक्षा विभाग द्वारा कार्यशाला की योजना बनाने और इसके आयोजन में मंत्रा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें मिलकर योजना बनाने में विभिन्न सत्र आयोजित करने से संबंधित विषय वस्तु के विशेषज्ञों की तलाश करना, संचालन और क्रियान्वयन के सभी पहलुओं का ध्यान रखना, सत्रों को संचालित और दैनिक गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रेरित करना शामिल है। कार्यशाला के दौरान मंत्रा की टीम हितधारकों को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व और टीम निर्माण से संबंधित गतिविधियाँ करती है। कार्यशाला के दौरान,यह नए तरीकों से योजना बनाने, उसके कार्यान्वयन और सहयोग से संबंधित मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह फिशबोन, रोल प्ले जैसी गतिविधियों के माध्यम से किया जाता है। टीम पूरी कार्यशाला का अवलोकन भी करती है और अंत में प्रतिभागियों से फीडबैक लेती है। कार्यशाला के समापन के बाद, टीम द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार किया जाता है और उसे राज्य शिक्षा विभाग को प्रस्तुत किया जाता है। टीम बेहतर चीज़ों का आकलन करने और सुधार के क्षेत्रों के संबंध में चर्चा करने के लिए बैठक भी आयोजित करती है। इन सबके पश्चात हितधारकों के लिए आवश्यक कार्यों से संबंधित आगामी योजना बनाई जाती है।


आगामी योजना
Inspire इंस्पायर (प्रेरित करना)
अभी तक दो बैच के लिए कार्यशाला आयोजित की जा चुकी है और तीसरे बैच की योजना तैयार की जा रही है। हम सुपर-50 बीईओ के लिए कार्यशाला आयोजित करने वाले हैं। राज्य स्तर पर ये सूक्ष्म सुधार निश्चित रूप से इसी तरह की परिस्थितियों और चुनौतियों वाले अन्य राज्यों को इस योजना को अपनाने एवं अपनी परिस्थिति के अनुसार इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी।

Enable इनेबल (सक्षम बनाना)
कार्यशाला के बाद, बीईओ को निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में खंड विकास की अपनी योजना (बीडीपी) जमा करने के लिए कहा जाता है। बीईओ के लिए खंड विकास योजना की प्रगति पर चर्चा करने हेतु डीजीएसई द्वारा मासिक समीक्षा की जाती है। निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु योजनाओं पर कार्य करने को लेकर बीईओ को सक्षम बनाने के लिए यह कदम उठाया जाता है।

Transform ट्रांसफॉर्म (बदलाव लाना)

हम बीईओ के लिए परस्पर आपस में सीखने का एक माध्यम तैयार करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, जिससे वे अपने विचारों को साझा कर सकें और एक मंच पर नियमित रूप से आपस में जुड़ सकें। हमारा विचार नेतृत्व के दूसरे स्तर को नवाचार, सहयोग और मार्गदर्शन के माध्यम से समग्र रूप से बदलाव लाना है।